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IIT दिल्ली में उन्नत भारत अभियान की शुरुआत  News18

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IIT दिल्ली में उन्नत भारत अभियान की शुरुआत  -News18

IIT Delhi: पढ़ाई करने के लिए आईआईटी लोगों की पहली पसंद होती है. यहां कई पॉलिसी से लेकर नई टेक्नलॉजी भी विकसित हुई है. ऐसी ही एक मोदी सरकार (Modi Government) की महत्वकांक्षी योजना उन्नत भारत अभियान (Unnat Bharat Abhiyan) की नींव IIT Delhi में रखी गई. इस योजना की शुरुआत मात्र तीन दिन के कार्यशाला से हुई है. इसका पूरा श्रेय IIT Delhi के प्रोफेसर विरेन्द्र कुमार विजय (Professor Virendra Kumar Vijay) को जाता है. आइए इसके बारे में प्रोफेसर विरेन्द्र कुमार से विस्तार में जानते हैं

https://hindi.news18.com/news/education/iit-delhi-education-ministry-modi-government-unnat-bharat-abhiyan-was-laid-in-iit-professor-virendra-kumar-vijay-had-idea-6162247.html

उन्नत भारत अभियान के आप नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं, इस योजना का आइडिया कैसे आया?
IIT Delhi में सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नलॉजी का एक विभाग है. यहां हमलोग लगभग 20 से 25 वर्षों से मंथन कर रहे थे कि गांवों का विकास कैसे हो? ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों तक टेक्नलॉजी का फायदा कैसे पहुंचे? इसको लेकर हमने और IIT Delhi के कुछ फैकल्टी मेंबर ने मिलकर विचार किया. हमलोगों को लगा कि कोई ऐसा कार्यक्रम करना चाहिए जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मदद मिल सकें. इसके लिए हमने टेक्नलॉजी डेवलपर्स, NGOs, कम्युनिटी बेस्ड ऑर्गेनाइजेशन, वॉलंटरी एजेंसी, सरपंच, प्रधान और पॉलिसी मेकर, सेक्रेटरीज को बुलाया और चर्चा किया. इसके बाद सितंबर 2014 में IIT Delhi में तीन दिन का एक वर्कशॉप का आयोजन किया. इसका नाम रखा गया उन्नत भारत अभियान. इस कार्यशाला में लगभग 450 टेक्नलॉजी डेवलपर्स जो IIT, NIT, DRDO और CSIR के साइंटिस्ट और उस समय MHRD की मंत्री स्मृति ईरानी, कृषि मंत्री राधामोहन सिंह , साइंस एंड टेक्नॉलिजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह और रूरल डेवलेपमेंट मिनिस्टर नितिन गडकरी भी शामिल हुए थे. वहीं से शिक्षा मंत्री ने इस योजना की घोषणा की. पहले यह प्रोग्राम बिना किसी फंड के चला. बाद में इसके लिए 5 साल के लिए 100 करोड़ का प्रावधान रखा गया. इसके लिए IIT दिल्ली को ही कोऑर्डिनेटिंग बॉडी बनाया गया. यह कार्यक्रम आगे कैसे चलेगा, इसके लिए भी IIT दिल्ली को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया.

हायर एजुकेशन में अर्बन लोग ज्यादा आते हैं. रूरल लोग अधिक आ पाएं इसके लिए क्या प्लान है?
पूरे देश भर में जितने भी कॉलेज हैं चाहे वो सरकारी हों या प्राइवेट, जितने भी इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज, हायर एजुकेशन संस्थान हैं, उन सबके लिए उन्नत भारत अभियान भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय का कार्यक्रम है. इसमें पांच थीमेटिक एरिया हैं, जिसमें सस्टेनेबल एग्रीकल्चर सिस्टम, रूरल एनर्जी सिस्टम, वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट, आर्टिस्ट, इंडस्ट्रीज एंड लाइवलीहुड और बेसिक एमिनिटिज (स्कूल एजुकेशन, रोड नेटवर्क, डिजिटल एजुकेशन) शामिल हैं. ये सारी चीजें गांव के साथ जुड़ी है. देशभर में जो UGC के 40 हजार से ज्यादा कॉलेज, AICTE के 10 हजार से ज्यादा कॉलेज हैं, वह सिर्फ शहरों-शहरों में नहीं हैं. हर गांव हर तहसील के अंदर तक पहुंच गए हैं. लगभग 68 प्रतिशत जनसंख्या गांव में रहती है. जो शहर में पढ़ने के लिए विद्यार्थी आ रहे हैं, वो गांव से ही उठकर आ रहे हैं. स्कूल तो गांव में उपलब्ध है लेकिन आगे पढ़ना है, तो उनको शहर में आना पड़ता है. जिले में आना पड़ता है और वे लोग जमीन से कैसे जुड़ें, जरूरत से कैसे जुड़े, रीयल लाइफ चैलेंज ये सभी चीजें उन्नत भारत अभियान के जरिए सीख सकते हैं. ताकि उन्होंने जीवन में जो पढ़ाई किया है, वे उसका उपयोग जीवन यापन के लिए कर सकें.

रिसर्च एरिया कौन-कौन से हैं?
हमारे जो पांचों थीमेटिक एरिया हैं उस पर 14 सबजेक्ट ग्रुप बने हुए हैं. हर सबजेक्ट ग्रुप को IIT, NIT कोऑर्डिनेट करते हैं. इसमें गांव की आवश्यकता के अनुसार कोई भी प्रपोजल ऑनलाइन भेज सकता है. छात्र जो M.Tech, B.Tech किए हैं इससे संबंधित कोई भी प्रोजेक्ट या कुछ इंवेंशन करना चाहते हैं, जिससे गांव वालों को सीधा लाभ हो, उस प्रोजेक्ट को ऑनलाइन भेज सकते हैं. इसके बाद हमारी एक्सपर्ट कमेटी सजेशन और मॉनिटिरिग करती है कि इसको अच्छे से कैसे किया जा सकता है. पूरे गांव को इससे फायदा होगा. हम टेक्नलॉजी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए 1 लाख लिए की मदद देते हैं. कोई भी संस्थान इसके लिए अप्लाई कर सकता है. अगर वो अप्रूव्ड होता है तो 1 लाख रुपये प्रत्येक प्रोजेक्ट हम सपोर्ट करते हैं. मगर पहले से कोई टेक्नलॉजी काम कर रहा है, तो उसको कस्टामाइज करना है, उसे ठीक करना है या फिर से शुरू करना है, उसके लिए 50 हजार रुपये तक का सपोर्ट दिया जाता है.

आपका यहां तक का सफर कैसा रहा?
मैंने एग्रीकल्चर में बीटेक किया था बाद में मैने एमटेक रिन्यूएबल एनर्जी यानी बायो एनर्जी पर किया था. इसके बाद पीएचडी IIT Delhi के सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एवं टेक्नलॉजी से किया. IIT दिल्ली में जब मैं 2002 में आया तो गांव के साथ मिलकर गाय आधारित अर्थव्यवस्था और बायोगैस (Biogas) पर काम करना शुरू किया. हमारी गाड़ी पिछले 10 सालों से बायोगैस पर चल रही है. IIT दिल्ली में बायोगैस को प्योरीफाई करके गाड़ी में भरने की टेक्नलॉजी डेवलप किया है. जिसे भारत सरकार ने स्वीकृत भी किया है. पेट्रोलियम मंत्रालय का सतत प्रोग्राम भी इसी पर चल रहा है. पूरे भारत में उन्नत भारत अभियान का कॉन्सेप्ट हमने 2014 में दिया. इसीलिए इसकी जिम्मेदारी IIT Delhi को दी गई और फिर IIT Delhi ने ये जिम्मेदारी मुझे दी.